समग्र विकास के लिए पंच परिवर्तन की है आवश्यकता : डोमेश्वर साहू
ऋषिकेश । सरस्वती विद्या मंदिर इण्टर कॉलेज आवास विकास के विवेकानंद योग सभागार में वृहत संगोष्ठी का आयोजन किया गया। बैठक का शुभारंभ विद्या भारती के क्षेत्रीय संगठन मंत्री डोमेश्वर साहू (पश्चिमी उत्तर प्रदेश)एवं क्षेत्रीय संगठन मंत्री भुवन चंद्र ,सह प्रदेश निरीक्षक शिशु शिक्षा समिति विनोद रावत , प्रो. युवराज शर्मा ,अखण्डानन्द महाराज , विजय(माधव सेवा सदन) व विद्यालय के प्रधानाचार्य उमाकांत पंत ने संयुक्त रूप से मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया । संगोष्ठी में अनेक वक्ताओं ने पंच परिवर्तन के बारे में अपने अपने विचार रखे । प्रो. डॉ.दिनेश शर्मा ने विश्व में भारत की विशिष्ट पहचान बन रही है। इस दृष्टि से समाज प्रबोधन और आसुरी ताकतों की चुनौतियों का प्रतिकार करने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक विशेष योगदान रहा है। राष्ट्रीय विचार के प्रसार को गति तथा अपने कार्य को अधिक गहराई व विस्तार देने के लिए आज संघ ‘पंच परिवर्तन’ की संकल्पना के साथ तैयार है। डोमेश्वर साहू ने पंच परिवर्तन के बारे में सभी को संबोधित करते हुए बताया कि कैसे होगा समाज में परिवर्तन उसके लिए हमें ये पांच परिवर्तन करने होंगे जो है सामाजिक समरसता ,परिवार प्रबोधन,स्वदेशी ,नागरिक कर्तव्य ,पर्यावरण हमें ये पांच परिवर्तन से समाज का समग्र विकास करना होगा तभी समाज का परिवर्तन होगा, विद्याभारती योजनानुसार हम आज आचार्य बैठक और विद्वत परिषद की गोष्ठी में हमने संकल्प लिया है कि संघ के शताब्दी वर्ष के संदर्भ में हमने संगठनात्मक दृष्टि से दो लक्ष्य निर्धारित किए हैं—शाखाओं का विस्तार व कार्य की गुणवत्ता। सभी कार्यकर्ताओं कें सामने ये दो लक्ष्य हैं। कार्य की गुणवत्ता बढ़ाने से प्रभाव बढ़ेगा। आग्रह यही है कि संख्यात्मक विस्तार के साथ—साथ गुणात्मक वृद्धि भी हो। दूसरे, सामाजिक दृष्टि से हमने पंच परिवर्तन का विषय सामने रखा है। हमारा आग्रह है पंच परिवर्तन का विमर्श राष्ट्रीय दृष्टि से आगे बढ़ाया जाए। समाज की सज्जन शक्ति और संस्थाओं की ताकत इस दृष्टि से साथ आए। तो संघ के शताब्दी वर्ष में हमने संगठनात्मक और सामाजिक स्तर पर इन सभी विषयों पर पहल करने की योजना बनायी है। इनको विस्तार से उन्होंने बताते हुए सभी छात्र छात्राओं का सर्वांगीण विकास कैसे हो व साथ ही विद्या भारती लक्ष्य के अनुसार समग्र विकास ध्यान आकर्षित कर देश की शिक्षा कैसे हो उसके लिए पंच परिवर्तन को जानना होगा ,समरसता – सामाजिक समरसता यह संघ की रणनीति का हिस्सा नहीं है वरन यह निष्ठा का विषय है। सामाजिक परिवर्तन समाज की सज्जन-शक्तियों के एकत्रीकरण और सामूहिक प्रयास से होगा। सम्पूर्ण समाज को जोड़कर सामाजिक परिवर्तन की दिशा में आगे बढ़ने का संघ का संकल्प है। देश में अनेक छोटे गांवों में ऊँच-नीच और छुआछुत दिखाई देती है। शहरों में इसका प्रभाव बहुत कम है। गांव के तालाब, मन्दिर और श्मशान को लेकर समाज में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। कुटुम्ब प्रबोधन – हमारी प्राच्य परंपरा में कुटुंब को समाज की इकाई माना है। कुटुंब से व्यक्ति और समाज दोनों का, सब प्रकार से पोषण होता है। पर्यावरण – पेड़ लगाओ, पानी बचाओ, पोलीथीन हटाओ पानी, प्लास्टिक, पेड़ – पर्यावरण की रक्षा, ये किसी एक संगठन का अभियान नहीं, वरन पूरे समाज का है। स्वयंसेवकों को स्वयं और अन्य लोगों को भी प्लास्टिक के प्रयोग से बचना चाहिए। पानी के दुरुपयोग और वृक्षों के सुरक्षा व संवर्धन पर भी ध्यान देना चाहिए।
स्वदेशी – ‘स्व’ आधारित व्यवस्था का आग्रह। स्वयंसेवकों को ‘स्व’ बोध का स्वाभिमान और स्वदेशी भाव पर जीवन को उत्कृष्ट बनाने की योजना करनी चाहिए। जिससे समाज प्रेरणा पा सके। नागरिक कर्तव्य – किसी देश का समुचित विकास तभी संभव हो पाता है, जब उसके नागरिकों में नागरिक कर्तव्य का बोध हो और उसके पालन के प्रति कठोरता हो, स्वयंसेवक इस दिशा में अपना उदाहरण प्रस्तुत करें।
इस अवसर पर प्रो.सीमा वैनिकट,डॉ. गिरीश पाण्डेय,डॉ. गजेन्द्र उनियाल,दयाधर दीक्षित,डॉ.नन्द किशोर गौड़,पुरूषोतम बिजलवान,डी .पी. रतूड़ी,डॉ.गौरव वार्ष्णेय,राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय,दयाराम वार्ष्णेय,समर बहादुर चौहान,नवीन मेंदोला,हरीश आनन्द,कुसुम जोशी,मंजू बडोला,विजय बडोनी, नागेन्द्र पोखरियाल, हेमंत गुप्ता,कर्णपाल बिष्ट, रामगोपाल रतूड़ी, नंद किशोर भट्ट, नरेंद्र खुराना, मंगत सिंह ऋषिकेश के
विद्याभारती द्वारा संचालित सभी विद्यालयों के प्रधानाचार्य, आचार्य एवं लगभग 90 समाज के विद्वत समाज के नागरिक उपस्थित रहे ।