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एसिड अटैक पीड़ितों को लेकर बच्चो को कानूनी सहयता विषय पर किया जागरूक

  • jऋषिकेश ( राव शहजाद ) । उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण नैनीताल एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण देहरादून के निर्देशन में अगापे मिशन, गुमानीवाला श्यामपुर में एसिड अटैक पीड़ितों को कानूनी सहायता विषय पर जागरूकता शिविर आयोजित किया गया। कार्यक्रम का संचालन परा विधिक कार्यकर्ता विभा नामदेव ने किया। इस अवसर पर विशेष अतिथि अधिवक्ता आरती मित्तल एवं मयंक पाल उपस्थित रहे। शिविर में प्रतिभागियों को बताया गया कि एसिड अटैक महिलाओं एवं लड़कियों के खिलाफ हिंसा का गंभीर रूप है, जिससे शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति होती है। कानून के तहत पीड़ितों को निःशुल्क चिकित्सा, त्वरित FIR, क्षतिपूर्ति लाभ एवं DLSA से आर्थिक सहयोग मिलता है। एसिड की बिक्री केवल चयनित मेडिकल स्टोर्स तक सीमित है।अधिवक्ता आरती मित्तल ने कहा कि POCSO अधिनियम बच्चों को यौन शोषण से सुरक्षा प्रदान करता है और यह कानून लिंग-तटस्थ है। हर व्यक्ति को चाहिए कि ऐसे मामलों की तुरंत सूचना दें ताकि बच्चों और महिलाओं को न्याय मिल सके। जागरूकता ही अपराध रोकने का सबसे सशक्त हथियार है। एसिड अटैक पीड़ित केवल शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि मानसिक और सामाजिक स्तर पर भी गंभीर पीड़ा झेलते हैं। ऐसे में समाज का यह कर्तव्य है कि पीड़ितों को अकेला न छोड़ा जाए, बल्कि उन्हें न्याय, सम्मान और सुरक्षा दिलाने के लिए सब मिलकर सहयोग करें। महिलाओं और बालिकाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को रोकने के लिए कानून का सही इस्तेमाल और समय पर कार्रवाई बेहद ज़रूरी है। हर नागरिक को चाहिए कि किसी भी अपराध की सूचना छिपाने के बजाय तुरंत संबंधित प्राधिकरण तक पहुँचाएँ। जागरूकता और सामूहिक प्रयास से ही हम एक सुरक्षित और समानता आधारित समाज का निर्माण कर सकते है वही मयंक पाल ने कहा कि समाज में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए हम सबको एकजुट होकर आगे आना होगा। पीड़ितों को उनके अधिकारों की जानकारी दिलाना और उन्हें न्याय दिलाना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है। अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों के साथ मित्रवत व्यवहार करें, उनसे खुलकर संवाद करें और उनके मन की बातें ध्यान से सुनें। कई बार बच्चे डर या संकोच के कारण अपनी समस्याएँ छिपा लेते हैं, ऐसे में माता-पिता की समझदारी ही उनकी सबसे बड़ी सुरक्षा बन सकती है। जागरूक परिवार ही जागरूक समाज का आधार बनते हैं।

सत्र में Pre-Natal Diagnostic Techniques (PNDT) अधिनियम की भी विस्तृत जानकारी दी गई। प्रतिभागियों को महिला व बाल सुरक्षा हेतु बाल हेल्पलाइन 1098, नशा पीड़ित हेतु 1933 और न्याय एवं विधिक सहायता हेतु 15100 जैसी निःशुल्क सेवाओं के बारे में अवगत कराया गया। शिविर में लगभग 200 प्रतिभागियों ने भाग लिया और विधिक अधिकारों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की।

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