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बागेश्वर धाम आचार्य धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री पहुँचे परमार्थ निकेतन

 

 

ऋषिकेश  ( राव शहजाद  )    । परमार्थ निकेतन में सोमवार को बागेश्वर धाम, आचार्य धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री पधारे है । परमार्थ गुरूकुल के आचार्यों, ऋषिकृमारों और परमार्थ परिवार ने वेदमंत्रों, शंखध्वनि और पुष्पवर्षा कर सनातन संस्कृति के अग्रदूत युवा संत बागेश्वर धाम, आचार्य धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री का अभिनन्दन किया। परमार्थ परिवार के लिये ये वंदन और अभिनन्दन के पल है। पूज्य स्वामी जी और बागेश्वर धाम आचार्य धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री दोनों दिव्य विभूतियों का सूर्य की स्वर्णिम किरणों के साथ ही पावन सान्निध्य व आशीर्वाद प्राप्त हुआ। दोनों विभूतियों के पावन सान्निध्य में सभी ने माँ गंगा जी का पूजन व अभिषेक किया। बागेश्वर धाम धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री का प्रातः परमार्थ निकेतन मे आगमन हुआ। उन्होंने बड़ी ही विन्रमता, विनय और वंदन के साथ स्वामी चिदानन्द सरस्वती को मार्च में बागेश्वर धाम में 151 सामूहिक कन्या विवाह महोत्सव में युगल दम्पति को आशीर्वाद व आशीर्वचन देने हेतु आमंत्रित किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि सनातन संस्कृति के अग्रदूत युवा संत आचार्य धीरेन्द्र शास्त्री आदिगुरू शंकराचार्य के पदचिन्हों का अनुकरण करते हुये सनातन की मशाल लेकर आगे बढ़ रहे हैं। सनातन धर्म को हर सांस में जीते हुये सनातन संस्कृति की अविरल धारा! सनातन गंगा निरंतर प्रवाहित कर रहे हैं। गंगा की निर्मलता और सनातन की दिव्यता का दीप हर दिल में प्रज्वलित हो क्योंकि सनातन है तो हम हैं। सनातन है तो संस्कार, संस्कृति और जीवन के मूल्य है। युवाओं में सनातन की अखंड ज्योति जलती रहे, परिवारों में भारतीय संस्कृति के मूल, मूल्य और संस्कार स्थापित हो क्योंकि संस्कार है तो संसार है; संस्कार है तो परिवार है; संस्कार है तो जीवन का आधार है।
आचार्य धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि आज पूज्य स्वामी और माँ गंगा का पावन सान्निध्य पाकर अभिभूत हूँ। ये मिलन जीवंत व जागृत कर देने वाला है। मेरे लिये ये दिव्य पल करूणा, प्रेम, श्रद्धा, विश्वास के अद्भुत पल हैं इस दिव्यता के पलों को वंदन और अभिनन्दन। परमार्थ निकेतन से पूज्य स्वामी के पावन सान्निध्य में निरंतर पर्यावरण संरक्षण का संदेश हम सभी को प्राप्त होता है। वास्तव में इस तट से सनातन के संदेश के साथ संस्कृति और संस्कारों का उद्घोष प्रतिदिन होता है। उन्होंने स्वामी के पावन सान्निध्य में गंगा तट पर कथा आयोजित करने की इच्छा व्यक्त करते हुये कहा कि यह स्थान वास्तव में अपार शान्ति प्रदान करने वाला है ।

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