राज्य स्थापना दिवस की रजत जयंती पर सांस्कृतिक उल्लास और गौरव का संगम

ऋषिकेश । सरस्वती विद्या मंदिर इण्टर कॉलेज के विवेकानंद योग सभागार में उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस की रजत जयंती के अवसर पर विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना एवं दीप प्रज्वलन से हुई, जिसके उपरांत विद्यालय की बहिनों ने उत्तराखंड की लोक संस्कृति, नृत्य और गीतों पर आधारित मनमोहक प्रस्तुतियाँ दीं। विद्यार्थियों ने राज्य निर्माण, उसकी उपलब्धियों और गौरवशाली इतिहास पर अपने विचार व्यक्त किए। विद्यालय की वरिष्ठ अध्यापिका यशोदा भारद्वाज ने अपने उद्बोधन में कहा कि उत्तराखंड का निर्माण केवल भौगोलिक परिवर्तन नहीं, बल्कि यह हमारे संघर्ष, बलिदान और संस्कृति की विजयगाथा है। उन्होंने छात्र-छात्राओं से आग्रह किया कि वे राज्य के विकास में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएँ। विद्यालय के प्रधानाचार्य उमाकांत पंत ने कहा कि रजत जयंती केवल उत्सव नहीं, बल्कि आत्ममंथन का अवसर है। उन्होंने कहा कि आज का युवा वर्ग उत्तराखंड की अस्मिता, संस्कृति और पर्यावरण की रक्षा में अग्रणी भूमिका निभाए, यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी आंदोलनकारियों के प्रति। मीडिया प्रभारी नरेन्द्र खुराना ने बताया कि इस अवसर पर विद्यालय के आचार्य कांता प्रसाद देवरानी, जो राज्य आंदोलनकारी रहे हैं, को विद्यालय परिवार द्वारा अंग वस्त्र पहनाकर सम्मानित किया गया।

उनके सम्मान से पूरे विद्यालय परिवार में गर्व और प्रेरणा का वातावरण व्याप्त रहा।कार्यक्रम का संचालन शिक्षकगणों द्वारा किया गया और अंत में राष्ट्रगान के साथ समारोह का समापन हुआ।



























