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प्लास्टिक का अधिक इस्तेमाल कैंसर बढ़ाने का कारक : प्रो. मीनू सिंह

ऋषिकेश ( राव शहजाद ) । एम्स में नर्सिंग शिक्षा और अनुसंधान उत्कृष्टता केंद्र (CENER) के तत्वावधान में ब्रैस्ट कैंसर इन यंग वूमेन फ़ाउंडेशन (BCYWF), USA के सहयोग से “युवा महिलाओं में स्तन कैंसर” विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें विशेषज्ञ चिकित्सकों ने किशरियों व युवा महिलाओं में बढ़ते कैंसर की रोकथाम के लिए जनजागरूकता अभियान और समय रहते स्वास्थ्य परीक्षण पर जोर दिया। निदेशक एम्स प्रो. मीनू सिंह ने कहा कि प्लास्टिक का अधिक इस्तेमाल कैंसर मामलों को बढ़ाने का कारक बन रहा है। संस्थान की निदेशक एवं सीईओ प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह की देखरेख में किशोरियों एवं युवा लड़कियों में स्तन कैंसर की शीघ्र पहचान के प्रति जनजागरूकता के उद्देश्य से संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर निदेशक एम्स प्रो. मीनू सिंह ने बताया कि स्तन कैंसर कई जोखिम कारकों, जैसे जीवनशैली, आनुवंशिकता और पर्यावरणीय कारण से प्रभावित होता है। उन्होंने बताया कि युवा महिलाओं की नियमित स्क्रीनिंग आवश्यक है और पहचान विधियों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। इसको लेकर किशोरियों व युवा महिलाओं को जागरूक होने की आवश्यकता है।

उन्होंने इस बीमारी से निजात व समय रहते रोकथाम के लिए समुदाय में बीमारी की जांच हेतु मोबाइल वैन के उपयोग की भी संभावना बताई। साथ ही उन्होंने प्लास्टिक के उपयोग को सीमित करने पर जोर दिया।
एम्स निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने बताया कि माइक्रोप्लास्टिक विभिन्न रोग स्थितियों में योगदान दे रहे हैं।
संगोष्ठी में संस्थान की डीन अकादमिक प्रो. जया चतुर्वेदी, मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रो. सत्यश्री बालिजा, चीफ नर्सिंग ऑफिसर (CNO) डॉ. अनीता रानी कंसल, प्रो. फ़रहान-उल-हुडा सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने शिरकत की। संगोष्ठी की सह-अध्यक्षता प्रो. स्मृति अरोड़ा (प्राचार्य, CENER) और प्रो.राकेश कुमार, एंडोव्ड चेयर प्रोफेसर, CRI, HIMS ने की। संगोष्ठी में उत्तराखंड के विभिन्न नर्सिंग कॉलेजों से लगभग 250 प्रतिभागियों और प्राचार्यों ने प्रतिभाग किया। संगोष्ठी में शिरकत करने वाले अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं प्रो. मैरी जे.वी. पीटर्स (नीदरलैंड कैंसर सेंटर), सुश्री लॉर्ना लार्सन (कनाडा) और सुश्री जोसेफ़ा कॉर्टेस (चिली) ने भी व्याख्यान प्रस्तुत किए। इस अवसर पर आउटरीच गतिविधियों पर एक ज्ञानवर्धक पैनल चर्चा भी हुई, जिसका संचालन प्रो. वर्तिका सक्सेना ने किया, चर्चा में डॉ. मीनाक्षी खापरे, डॉ. रश्मि रावत, डॉ. अनुशा, डॉ. अनमोल और डॉ. अवनी आदि विशेषज्ञों ने युवा महिलाओं में स्तन कैंसर जागरूकता और शीघ्र पहचान को मजबूत करने हेतु वैश्विक दृष्टिकोण और सहयोगात्मक रणनीतियों पर प्रकाश डाला है । राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संकाय द्वारा कई उपयोगी सत्र प्रस्तुत किए गए।
संगोष्ठी में शामिल विषयों में “स्तन स्वास्थ्य – महिलाओं के स्वास्थ्य का मूल”, “युवा स्तन कैंसर: हस्तक्षेप और देखभाल”, तथा “BCYW जागरूकता, शीघ्र पहचान और निदान में विलंब की रोकथाम” शामिल रहे। सुश्री जोसेफा कॉर्टिस ने “स्तन स्वास्थ्य: अपने शरीर को जानें” विषय पर ऑनलाइन सत्र लिया। उन्होंने पल्पा डिवाइस से स्तन परीक्षण तथा इसकी प्रारंभिक पहचान में भूमिका पर एक वीडियो भी प्रदर्शित किया।प्रो. फ़रहानुल हुडा ने कॉन्ट्रालैटरल मास्टेक्टॉमी, स्तन संरक्षण सर्जरी और उपचार में ऑन्कोफर्टिलिटी के समावेश पर जोर दिया। विशेष रूप से उपचार के बाद रोगियों को स्तन पुनर्निर्माण शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।

साथ ही नर्सिंग छात्रों ने स्तन कैंसर पर आधारित जानकारीपूर्ण पोस्टरों का भी प्रदर्शन किया। संगोष्ठी के समापन पर सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र भेंटकर सम्मानित किया गया जबकि आयोजन सचिव डॉ. राजराजेश्वरी, सहायक प्रोफेसर नर्सिंग ने सभी विशेषज्ञों व प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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