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श्री रामलीला में सीता स्वयंवर के दृश्य का हुआ मंचन

रायवाला । प्राथमिक विद्यालय श्री रामलीला चौक वार्ड नंबर 6 प्रतीत नगर गांव रायवाला में लोक कल्याण समिति के तत्वावधान में आयोजित हो रही तृतीय श्री रामलीला महोत्सव के पंचम दिन मुख्य 04 मुख्य दृश्य प्रदर्शित किए गए जिसमें पहला दृश्य – फुलवारी , दूसरा दृश्य – रावण-बाणासुर संवाद , तीसरा दृश्य – धनुष यज्ञ , चतुर्थ दृश्य – परशुराम-लक्ष्मण संवाद किए गए । श्री रामलीला महोत्सव के मुख्य मंच उद्घोषक एवं लोक कल्याण समिति के प्रवक्ता विरेन्द्र नौटियाल (वीरू) ने बताया की बुधवार की रात श्री रामलीला में फुलवारी, रावण-बाणासुर संवाद, धनुष यज्ञ, और परशुराम-लक्ष्मण संवाद का मंचन हुआ । बता दे मंचन करते हुए दृश्य में दिखाया गया कि राजा जनक सभी राज्यों के राजा को आदरपूर्वक अपने साथ महल लेकर आए । अगले दिन सुबह दोनों भाई श्रीराम एवं लक्ष्मण फूल लेने फुलवारी में गए । उसी समय राजा जनक की पुत्री सीता भी माता पार्वती की पूजा करने के लिए वहां आई । सीता श्रीराम को देखकर मोहित हो गई और एकटक निहारती रहीं । श्रीराम भी सीता को देखकर बहुत आनंदित हुए। इस संबंध में श्रीरामचरित मानस की चौपाई में लिखा है कि-

देखि सीय शोभा सुखु पावा। हृदयँ सराहत बचनु न आवा।।
जनु बिरंचि जब निज निपुनाई। बिरचि बिस्व कहं प्रगटि देखाई।।

इन चौपाइयों का अर्थ यह है कि सीताजी को शोभा देखकर श्रीराम ने बड़ा सुख पाया। हृदय में वे उनकी सराहना करते हैं, लेकिन मुख से वचन नहीं निकलते। मानों ब्रह्मा ने अपनी सारी निपुणता को मूर्तिमान बनाकर संसार को प्रकट करके दिखा दिया हो ।

इसके बाद माता पार्वती का पूजन करते समय सीता ने श्रीराम को पति रूप में पाने की कामना की। अगले दिन स्वयंवर का आयोजन हुआ। आयोजन में शर्त रखी गई कि जो योद्धा भगवान शंकर के धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा, उसी के साथ सीता का विवाह किया जाएगा। राजा जनक के बुलावे पर ऋषि विश्वामित्र व श्रीराम व लक्ष्मण भी उस स्वयंवर में गए। स्वयंवर में जब सभी राजा उस धनुष को उठाने में असफल हो गए, तब श्रीराम को ऋषि विश्वामित्र ने आज्ञा दी कि वे इस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएं। श्रीराम ने धनुष उठाया और उस प्रत्यंचा चढ़ाने लगे, तभी वह धनुष टूट गया। धनुष टूटने की आवाज सुनते ही परशुराम स्वयंवर में आ गए और धनुष तोड़ने वाले का नाम पूछने लगे, इस पर वहां सन्नाटा छा गया। वहीं परशुराम और लक्ष्मण के बीच जमकर शब्दों के बाण चले। परशुराम लक्ष्मण संवाद का लुत्फ उठाने के लिए पूरी रात भीड़ जमी रही । परशुराम लक्ष्मण संवाद का लुत्फ उठाने के लिए पूरी रात भीड़ जमी रही ।

श्रीराम के पात्र – सौरभ चमोली, लक्ष्मण – अंकित तिवारी, सीता-अर्चित सेमवाल, विश्वामित्र- जगदीश पंत, जनक – राजेन्द्र प्रसाद रतूड़ी, सुनैना- दीपक प्रजापति, रावण- प्रसिद्ध पंडित , बाणासुर – नरेश थपलियाल, परशुराम- कमल देव जोशी, गौरी माता- हंसिका चौधरी, भाट – बलराम शर्मा, राजा- मनोज कंडवाल, सूरज चमोली, धीरज चौहान, अंकित कंडवाल, आशीष उनियाल ने सुंदर अभिनय किया ।

सुंदर भव्य मंचन देखने के लिए आए अतिथियों का लोक कल्याण समिति द्वारा राम दरबार की माला एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया । अतिथियों सहित सैकड़ों राम भक्तों ने मंचन को देखा और कलाकारों का उत्साहवर्धन किया । मौके पर लोक कल्याण समिति के अध्यक्ष गंगाधर गौड़, उपाध्यक्ष बालेन्द्र सिंह नेगी, सचिव नरेश थपलियाल, कोषाध्यक्ष मुकेश तिवाड़ी, प्रवक्ता विरेन्द्र नौटियाल (वीरु), सदस्य राजेन्द्र प्रसाद रतूड़ी, नवीन चमोली, आशीष सेमवाल, मुख्य निर्देशक महेन्द्र राणा, राजेश जुगलान, गोपाल सेमवाल, राजेन्द्र प्रसाद कुकरेती, राजेन्द्र प्रसाद तिवाड़ी, राम सिंह, देवकी सूबेदी, अनीता जुगलान, रुचि सती, रेखा थपलियाल , रेखा तिवाड़ी, रोहित, मोहन, ईशांत, सहित अन्य मौजूद रहे ।

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