वैदिक ब्राह्मण सभा (पंजी) एक दिवसीय वार्षिक सम्मेलन किया आयोजित
ऋषिकेश ( राव शहजाद ) । विरक्त वैष्णव मंडल के अध्यक्ष महामंडलेश्वर दयाराम दास ने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि के साथ-साथ शास्त्रों एवं पुराणों की जननी भी है, लिहाजा राज्य के ब्राह्मणों का यह दायित्व भी है कि संस्कृति के साथ संस्कृत का भी संरक्षण और संवर्धन पूरी सजगता से करें, ताकि शास्त्र रक्षा भी सतत होती रहे। गुरुवार को पुराना बद्रीनाथ मार्ग स्थित जयराम आश्रम में आयोजित वैदिक ब्राह्मण सभा (पंजी) ऋषिकेश के एक दिवसीय वार्षिक सम्मेलन में महामंडलेश्वर दयाराम दास ने उत्तराखंड के ब्राह्मणों से यह आह्वान किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि पूर्व संस्कृत शिक्षा निदेशक शिव प्रसाद खाली ने कहा कि ब्राह्मण समाज का चालक है यदि चालक सजग होगा तो निश्चित रूप से समाज को सही मार्गदर्शन मिलेगा। कार्यक्रम का संचालन कर रहे डॉ. जनार्दन कैरवान ने कहा कि आज समाज में शास्त्रों के ज्ञान को तोड़ मरोड़ कर विभिन्न मंचों से परोसा जा रहा है, जो कि समाज के लिए उचित नहीं है। ब्राह्मण स्वयं उत्तम शास्त्र ज्ञान लेकर समाज का मार्ग दर्शन करना अपना दायित्व समझकर समाज में अपनी भूमिका निभाए। ब्राह्मण सभा के महामंत्री महेश चमोली ने सभा के समस्त क्रियाकलाप एवं कार्ययोजना को समस्त ब्राह्मणों के समक्ष रखा।
इससे पहले मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम के कृपापात्र केशव स्वरूप ब्रह्मचारी, नगर निगम ऋषिकेश की निवर्तमान मेयर अनिता ममगाईं, कांग्रेस नेता जयेंद्र रमोला, पंजाब सिंध क्षेत्र साधु महाविद्यालय के पर्व प्राचार्य डॉ अनिल कमार इससे पहले मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम के कृपापात्र केशव स्वरूप ब्रह्मचारी, नगर निगम ऋषिकेश की निवर्तमान मेयर अनिता ममगाईं, कांग्रेस नेता जयेंद्र रमोला, पंजाब सिंध क्षेत्र साधु महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ अनिल कुमार शुक्ला, वरिष्ठ समाजसेवी मदन मोहन शर्मा, महंत रवि शास्त्री ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर सम्मेलन का शुभारंभ किया। इस दौरान समाज में उल्लेखनीय कार्य करने वाले ब्राह्मणों को सम्मानित किया गया। मौके पर ब्राह्मण सभा के अध्यक्ष मणिराम पैन्यूली, कोषाध्यक्ष शिव सेमवाल, उपाध्यक्ष शिव प्रसाद नौटियाल, जगमोहन मिश्रा, जयराम संस्कृत विद्यालय के प्रधानाचार्य विजय जुगलान, नवीन भट्ट, डा. दयाकृष्ण लेखक, विनायक भट्ट, शान्ति मैठाणी, हर्षानंद उनियाल, विपिन बहुगुणा, रूपेश जोशी, मनोज चमोली, गिरीश कोठियाल, मयंक चमोली, देवेंद्र उनियाल, भानु प्रकाश उनियाल, सूर्यप्रकाश रतूड़ी, राजेश बहुगुणा, प्रकाश सेमवाल, रामकृष्ण कोठियाल, नरेंद्र सकलानी, सूरज बिज्लवाण, पुरुषोत्तम कोठारी, ज्योति प्रकाश, राकेश बहुगुणा, मोहित भट्ट, विवेक चमोली, चिंतामणि केमनी, नागेंद्र भद्री, उमादत्त अंथवाल, मोहन भट्ट, हर्षमणि नौटियाल, जगदीश जोशी सहित अन्य मौजूद रहे।