भौतिक और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करने के लिए यज्ञ है सर्वोत्तम साधन ; नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज

रायवाला । शारदीय नवरात्रि दुर्गा नवमी के पावन अवसर पर नृसिंह वाटिका आश्रम खांड गाँव नंबर एक रायवाला में आयोजित नौ दिवसीय सप्तशती महायज्ञ कार्यक्रम का हवन एवं कन्या वटुक भैरव पूजन के साथ समापन हो गया है । बता दे आश्रम से जुड़े गुरुभक्तों नें हवन में आहुति देकर सम्पूर्ण विश्व में सुख शांति एवं समृद्धि की कामना की। समापन दिवस पर अपने प्रवचन में आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी रसिक महाराज ने कहा कि “यज्ञात् भवति पर्जन्यः” का उपदेश भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान से द्वापर युग में दे दिया था जो कि आज तक सार्थक हो रहा है। यज्ञ विधा की विधि और यज्ञ का विज्ञान ही एक ऐसा साधन है जो भौतिक, आध्यात्मिक और दैविक दुःखों की निवृत्ति और शक्तियों का माध्यम है। भौतिक और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करने के लिए यज्ञ सर्वोत्तम साधन है।
जिस प्रकार भौतिक माध्यम से हम घृत, सामग्री आदि द्वारा हवन का यज्ञ करते हैं। ठीक उसी प्रकार हम रोज भी एक हवन अपने शरीर के माध्यम से भोजन का कर रहे हैं। इसलिए भोजन और हवन में उतना ही अंतर है जितना शरीर और ब्रह्माण्ड में है। जिस दिन हम शरीर को भौतिक साधन मिलने का साधन छोड़कर अध्यात्म साधन प्राप्त करने का माध्यम समझेंगे उसी दिन हम यज्ञ के विज्ञान को समझेंगे। उसी दिन हम बाहर के यज्ञ को और अंदर के यज्ञ की भावना को समझेंगे। उसी दिन हम पिण्ड और ब्रह्माण्ड में स्पष्ट भेद को समझेंगे। यज्ञ का प्रतीक हमारे जीवन ऊर्जा की अग्नि में तपने की भी विधि है। उन्होंने बताया कि संसार की प्रत्येक वस्तु, पदार्थ, जीव, अन्न, भाव,भावना, करुणा, श्रद्धा आदि ईप्सित इच्छाएं, आवश्यकताएँ यज्ञ से हर क्षण उत्पन्न हो रहे हैं और विलीन हो रहे हैं।
इसलिए यज्ञ की नितान्त आवश्यकता को समझते हुए अपने जीवन को ऊर्जा को बढाने के लिए यज्ञ ही श्रेष्ठ कर्म है। ऐसा ही शब्दब्रह्म में कहा गया है। मौके पर आश्रम संचालिका माँ देवेश्वरी जी, यज्ञाचार्य पं विपिन ब्रहमचारी, पं आन्नद ब्रहमचारी, डा सुरेश व्यास, डा राधाकृष्ण उपाध्याय एवं राजनैतिक, सामाजिक क्षेत्रों से जुड़े कई महत्वपूर्ण लोग उपस्थित रहे।