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उत्तराखंड की दिशा पर विचार गोष्ठी आयोजित की

रिपोर्ट : राव शहजाद

ऋषिकेश । उत्तराखंड राज्य निर्माण की 23 वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर उत्तराखंड की दशा एवं दिशा विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि अलग पहाड़ी राज्य बनने के दो दशक बाद भी पहाड़ों से पलायन जारी है गढ़वाल क्षेत्र के जिला अस्पताल सुविधाओं के अभाव में रेफर केंद्र बनकर रह गए हैं। आज भी प्रदेश के चौमुखी विकास के लिए ठोस नीति बनाने की जरूरत है। बुधवार को देहरादून रोड स्थित जय श्री फॉर्म में राज्य स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में दूर दराज क्षेत्र से पहुंचे लोगों ने अपने-अपने विचार रखें। जिसमें पलायन से खाली हो रहे गांव के गांव, बेरोजगारी, लचर स्वास्थ्य सेवाएं आदि विश्व पर चर्चा की गई। वक्ताओं ने कहा कि सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों रोजगार, शिक्षा व स्वास्थ्य के लिए ऐसे नीति बननी चाहिए ताकि गांवों से पलायन को रोका जा सके। कृषि गांव की मुख्य आजीविका का प्रमुख स्रोत है, लेकिन 22 वर्षों से उसकी स्थिति बदहाल हो गई है। बागवानी व कृषि के लिए केवल सरकारी कागजों में काम हो रहा है जबकि धरातल पर कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा है। मातृभाषा को बचाने के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनाई जा रही है। सरकार शिक्षा में मातृभाषा की बात करती है। वहीं राज्य में आज तक मातृभाषा के उत्थान के लिए सरकार द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया । मौके पर लोक गायक विनोद बिजल्वाण, डॉ. सुनील थपलियाल, सुरेंद्र भंडारी, शूरवीर सिंह चौहान, विशालमणि पैन्यूली, कुसुम जोशी, शशि बंगवाल, बिमला बहुगुणा, उत्तम सिंह असवाल, दिनेश व्यास, संजय शास्त्री, भोला दत्त काला, निर्मला उनियाल, संजय बूड़ाकोटी, अनीता कोटियाल, विनोद जुगलान सहित अन्य मौजूद रहे।

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