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स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज का जन्मदिवस बना पर्यावरण प्रेरणा पर्व

वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव का परमार्थ निकेतन में हुआ आगमन

ऋषिकेश ( राव शहजाद ) । परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज के जन्मदिवस के अवसर पर भारत सहित विश्व के अनेक देशों से उनके अनुयायियों, संतों, श्रद्धालुओं और पर्यावरण प्रेमियों ने उन्हें शुभकामनाएं एवं श्रद्धा-संदेश प्रेषित किये है । स्वामी चिदानंद के आह्वान पर देश-विदेश के अनेकों श्रद्धालुओं ने अपने-अपने स्थानों पर पौधारोपण, जल संरक्षण, प्लास्टिक मुक्त वातावरण, और जैविक खेती जैसे संकल्प लिये। अनेक देशों से डिजिटल माध्यम से शुभकामनाएं प्राप्त हुईं और अनेकों ने स्थानीय स्तर पर पर्यावरणीय गतिविधियों का आयोजन किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के शहीदों और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए अपने जन्मदिवस को अत्यंत सादगी एवं संयम के साथ मनाया।
स्वामी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की स्मृति में देशभर के पांच पवित्र स्थलों अयोध्या, प्रयागराज, उत्तरकाशी, नीलकंठ, ऋषिकेश, कन्वआश्रम कोटद्वार और यमुना के घाट दिल्ली और पांच प्रदेश उत्तराखंड, उत्तरप्रदेेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में ‘ऑपरेशन सिंदूर पंचवटी वाटिकाएं’ निर्माण करने की घोषणा की, जो न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सशक्त पहल है, साथ ही यह मातृभूमि के प्रति प्रेम और समर्पण का भी प्रतीक है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि आज केवल इतना ही कहना चाहता हूँ कि हम सबको मिलकर एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य की भावना के साथ आगे बढ़ना होगा। आॅपरेशन सिंदूर पंचवटी वाटिकाएं हमारी मातृभूमि और राष्ट्रभक्ति की जीवंत स्मृति होगी। साध्वी भगवती सरस्वती जी ने पूज्य स्वामी के जन्मदिवस को ‘पर्यावरण प्रेरणा पर्व’ के रूप में मनाने का संदेश देते हुयेे कहा, “पूज्य स्वामी जी का जीवन सेवा, समर्पण और पर्यावरण संरक्षण की मिसाल है। वे मानते हैं कि जन्मदिवस केवल उत्सव का नहीं, बल्कि आत्मचिंतन, सेवा और समाजहित के संकल्पों का पर्व होना चाहिए। यह दिन पर्यावरण के प्रति नई चेतना जगाने का पर्व है और उनका जीवन, हर सांस व प्रत्येक क्षण हम सभी के लिये प्रेरणा है।

इस अवसर पर भारत सरकार के वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र सिंह यादव का परमार्थ निकेतन आगमन हुआ। स्वामी चिदानंद ने कहा कि विगत वर्ष 5 जून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हम सभी को एक बड़ा मंत्र दिया, एक कार्यक्रम दिया ‘एक पेड़ माँ के नाम’। इस धरती पर आने पर हमारे उपर दो लोगों का अहसान है एक हमारी मां का और एक धरती माता का। हमारी मां हमें बचपन से लेकर बड़े होते तक जो प्रेम व संरक्षण देती हैं वह और कही नहीं मिल सकता और हम चाहे कितने भी आविष्कार कर ले, चांद पर चले जाये, एआई के माध्यम से सब कुछ बना लें परन्तु गेहु को नहीं बना सकते, हमारे पालन-पोषण के लिये जो अन्न और औषधि चाहिये वह केवल धरती मां ही दे सकती है। हमारा जन्म और हमें सम्भाला हमारी मां ने और हमारा जीवन भर पालन पोषण किया धरती मां ने इनके प्रति कृतज्ञता एक ही रूप में हो सकती है कि अपने जीवन में एक पेड़ मां के नाम जरूर लगाये। मानस कथाकार संत मुरलीधर ने कहा कि स्वामी चिदानंद एक युगद्रष्टा, पर्यावरण संत और मानवता के मार्गदर्शक हैं। स्वामी का जीवन एक जीवंत संदेश है कि सेवा, समर्पण और संकल्प से कैसे पृथ्वी को बचाया जा सकता है। उनका हर कार्य समाज को जोड़ने, जागरूक करने और जीवन मूल्यों को पुनस्र्थापित करने हेतु समर्पित है। मौके पर दिल्ली से आये प्रोफेसर वेदप्रकाश गुप्ता , प्रोफेसर रचना विमल , अरूण सारस्वत, गंगा नन्दिनी , आचार्य दीपक शर्मा , आचार्य संदीप , भारती टीएन, नीरज , स्वामी सेवानन्द , माता मीना सहित अन्य उपस्थित रहे।

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