छठ महापर्व की नहाय खाय के साथ हुई शुरुआत

ऋषिकेश ( राव शहजाद ) । छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है और इस पर्व का पहला दिन नहाय खाय के साथ शुरू होता है। पंचांग अनुसार, आज कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि, अनुराधा नक्षत्र, वणिज करण, शुक्ल पक्ष और वृश्चिक राशि में चंद्रमा है. आज पूर्व का दिशाशूल है। शनिवार और छठ पूजा का पहला दिन (नहाय-खाय) इन दोनों के एक साथ आने का योग ज्योतिषीय रूप से अत्यंत विशेष और शक्तिशाली माना गया है । शनिवार के दिन के स्वामी न्याय के देवता शनिदेव हैं और छठ महापर्व में छठी मईया के साथ सूर्यदेव की पूजा की जाती है। शनि और सूर्य देव दोनों में पिता-पुत्र का संबंध है, लेकिन इनके बीच वैरभाव भी बताया गया है (शनि सूर्य का पुत्र होते हुए भी उनसे दूर रहते हैं)। जब छठ पूजा की शुरुआत शनिवार से होती है, तब यह एक विशिष्ट ग्रह-संतुलन का समय बनता है। जो व्यक्ति इस दिन नहाय-खाय कर व्रत आरंभ करता है, उसके जीवन में कर्मों की शुद्धि, पितृ दोष शांति, और सूर्य-शनि मेलजोल का योग बनता है। शनि के प्रभाव से व्यक्ति में संयम, धैर्य और श्रम का बल आता है, जिससे उपवास की साधना पूर्ण फल देती है। छठ पूजा के नहाय-खाय से ही यह शुभ प्रारंभ हो जाता है, क्योंकि इस दिन स्नान, शुद्ध भोजन और सूर्योपासना की भावना शनि-सूर्य मेल का माध्यम बनती है। शनिवार को नहाय-खाय का योग यह दर्शाता है कि सूर्य का तेज और शनि की विनम्रता एक साथ साधक के जीवन में उतरने वाल यह दिन कर्मशुद्धि, आत्मबल और ग्रह-संतुलन का जनुप अवसर है। बता दे स्वच्छता और पवित्रता की प्रतीक हैं छठी मैया स्नान के बाद रसोई और पूजा स्थल को साफ किया जाता है। माना जाता है कि छठी मैया स्वच्छता और पवित्रता की प्रतीक हैं, इसलिए किसी भी तरह की अशुद्धि नहीं होनी चाहिए. इस दिन व्रती एक बार ही भोजन करते हैं, जिसे “नहाय-खाय का प्रसाद” कहा जाता है।

खाना कांसे या पीतल के बर्तन में और मिट्टी के चूल्हे पर बनाया जाता है। बता दे स्थानीय महिला श्रद्धालु छठ मइया के गीतों के साथ तैयारी में जुटी हैं, केलवा जस सजे अरघिया, गऊवा जस सजल अंगना । भक्ति और आस्था से ओतप्रोत यह पर्व न केवल सूर्यदेव की उपासना का प्रतीक है, बल्कि यह पर्यावरण, जल और जीवन के प्रति सम्मान का संदेश भी देता है।








