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भगवान राम ने किया बाली वध

समाज को दिया संदेश की स्त्री, बहिन, पुत्र की स्त्री और कन्या- ये चारों समान हैं

रायवाला । प्राथमिक विद्यालय श्री रामलीला चौक वार्ड नंबर 6 प्रतीतनगर गांव रायवाला में लोक कल्याण समिति के तत्वावधान में आयोजित हो रही तृतीय श्री रामलीला महोत्सव में आज सोमवार के दिन मुख्य 05 मुख्य दृश्य प्रदर्शित किए गए जिसमें पहला दृश्य सुग्रीव दरबार , दूसरा दृश्य श्री राम हनुमान मिलन , तीसरा दृश्य सुग्रीव मित्रता , चौथा दृश्य बाली वध , पांचवा दृश्य – सीता माता की खोज रामलीला महोत्सव के मुख्य मंच उद्घोषक एवं लोक कल्याण समिति के प्रवक्ता विरेन्द्र नौटियाल (वीरू) ने जानकारी देते हुए बताया की गुरुवार की लीला में मंचन करते हुए सीता की खोज में राम लक्ष्मण वन-वन घूमते हुए ऋष्यमूक पर्वत पर पहुंच गए हैं । वहां पर राम और लक्ष्मण को देखकर सुग्रीव के मन में शंका हो रही है, दोनों भाइयों के बारे पता लगाने के लिए हनुमान को भेजते हैं। इस पर हनुमान ब्राह्मण का रूप धरकर गए। इसके बाद प्रभु राम ने अपना परिचय दिया और वन में भ्रमण करने के कारणों के बारे में बताया। इसके बाद प्रभु राम को पहचानकर हनुमान ने उनके चरण पकड़ लिए। यह दृश्य देखकर दर्शक भावुक हो गए। और जय श्री राम , जय हनुमान के नारे लगे । जहां हनुमान द्वारा राम-लक्ष्मण की सुग्रीव से मुलाकात का वृतांत सुनाते है ।

इसके बाद रामलीला मंच पर वानर राज बाली का दरबार दिखाया जाता है । जिसके बाहर आकर सुग्रीव उसे युद्ध के लिए ललकारता है । दोनों भाइयों में गदा एवं हस्त युद्ध होता है । श्री राम अपने धनुष से बाली को मार देते हैं । बाली ने मरते समय भगवान राम से कहते हैं कि सुग्रीव तुम्हारी क्या मदद करेगा। तुम मुझे बता देते, मैंने रावण को अपनी कैद में छह माह रखा है। इसके बाद बाली की मृत्यु हो जाती है। अगले दृश्य में दिखाया गया की जब सभी वानर – भालू सीता की खोज में निकले थे । तो सभी थक हार कर समुद्र किनारे सीता माता की खोज में बैठे थे। उन्हें सीता माता का पता लगाना मुश्किल लग रहा था। तभी वहां पर उनकी भेंट संपाती नाम के गिद्ध से हुई। संपाती ने ही उन्हें बताया था कि सीता माता लंका में अशोक वाटिका में है। संपाती द्वारा मिली इस जानकारी से सभी के मन में उत्साह और आश्वासन जागृत हुआ। लेकिन जानकारी मिलने के बाद भी मुश्किल यह थी कि कैसे इस विशाल समुद्र को लांघ कर पार किया जाए। सभी वानरों और भालुओं को समुद्र लांघने में संदेह था। तब हतोत्साह वानरों और भालुओं को जामवंत उत्साह देते हुए श्री हनुमानजी से कहते है – पवन तनय बल पवन समाना। बुधि बिबेक बिग्यान निधाना।। कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम पाई।।

आप पवन पुत्र हो, बुद्धि,विवेक, विज्ञान की खदान हो। इस जगत में ऐसा कठिन कार्य नहीं जो आप ना कर सकें। जामवंत के वचन सुनते ही हनुमान पर्वताकार होते हैं और सिंहनाद कर कहते हैं कि इस खारे समुद्र को तो मैं खेल-खेल में लांघ सकता हूं । मौके पर मुख्य मंच उद्घोषक एवं लोक कल्याण समिति के प्रवक्ता विरेन्द्र नौटियाल (वीरू), निर्देशक महेंद्र सिंह राणा, लोक कल्याण समिति के अध्यक्ष गंगाधर गौड़ , उपाध्यक्ष बालेन्द्र सिंह नेगी , सचिव नरेश थपलियाल , कोषाध्यक्ष मुकेश तिवाडी , सदस्य नवीन चमोली , आशीष सेमवाल,राजेन्द्र प्रसाद तिवाड़ी, सहित तबलावादक कमल रामानुज , ऑक्टोपस वादक अशोक गर्ग सहित अन्य मौजूद रहे।

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