टीएचडीसी व आईआईटी रुड़की ने अनुसंधान और विकास को बढ़ाने के लिए एमओयू साइन किए
रिपोर्ट : राव शहजाद
ऋषिकेश । टीएचडीसीआईएल और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर के रूप में सहयोगात्मक पहल स्वरूप बुधवार को एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए है । टीएचडीसी के प्रबंध निदेशक आर के विश्नोई ने बताया कि यह समझौता ज्ञापन अनुसंधान गतिविधियों को व्यापक रूप से संचालित करने में दोनों संस्थानों की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है, जिसमें ऊर्जा संरक्षण, लायन स्टोरेज बैटरी के विकल्प, इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी के लिए नैनो तकनीक, हरित हाइड्रोजन, भू-तापीय प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन, अपशिष्ट प्रबंधन और पुनर्चक्रण, जल प्रबंधन और संरक्षण, भंवर प्रेरित कंपन, सुरंग बनाने की तकनीक, जैव ईंधन, ग्रिड स्थिरता में सुधार, और विभिन्न प्रकार के अन्य संबधित क्षेत्र, जो संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के लक्ष्यों के दायरे में आते हैं । सहयोग ‘विकसित भारत’-विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप, औद्योगिक और शैक्षणिक क्षेत्र के बीच की दूरी को कम करने के व्यापक लक्ष्य के साथ, मौलिक और ट्रांसलेशनल अनुसंधान दोनों के लिए है।आर.के. विश्नोई ने कहा, कि “टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड और आईआईटी रूड़की के बीच यह सहभागिता औद्योगिक अनुसंधान, नवाचार और तकनीकी उन्नति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण पहल का प्रतिनिधित्व करती है। आईआईटी, रूड़की के निदेशक प्रोफेसर के.के.पंत ने कहा कि यह समझौता ज्ञापन विभिन्न उद्योगों और कार्यक्षेत्र में अभूतपूर्व समाधानों को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। एमओयू पर टीएचडीसीआईएल के आर.एंड डी. विभाग के विभागाध्यक्ष एस.के.चौहान एवं आईआईटी रूड़की के डीन, प्रायोजित अनुसंधान और औद्योगिक सलाहकार प्रोफेसर अक्षय द्विवेदी द्वारा हस्ताक्षर किए गए। टीएचडीसीआईएल 1587 मेगावाट की संस्थापित क्षमता के साथ देश के प्रमुख बिजली उत्पादकों में से एक है, जिसका श्रेय इसकी प्रचालनाधीन परियोजनाओं को जाता है जिनमें उत्तराखंड में टिहरी बांध और एचपीपी (1000 मेगावाट), कोटेश्वर एचईपी (400 मेगावाट), गुजरात के पाटन और द्वारका में 50 मेगावाट और 63 मेगावाट की पवन ऊर्जा परियोजनाएं और उत्तर प्रदेश के झाँसी में 24 मेगावाट की ढुकवां लघु जल विद्युत परियोजना तथा केरल के कासरगोड में 50 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना शामिल हैं।